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नई दिल्ली:
भारत के वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की टिप्पणी कि “शिक्षा के अधिक पैसे लगाने से कुछ हासिल नहीं होने वाला” पर विवाद शुरु हो गया है. राष्ट्रीय स्वयं सेवा समूह (देश की सत्ताधारी बीजेपी के वैचारिक जनक) के छात्र प्रकोष्ठ ने उक्त बयान की आलोचना की है.
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पिछले हफ्ते द हिंदू अखबार के साथ एक इंटरव्यू में, टॉप ब्यूरोक्रेट ने इस साल के बजट में केंद्र सरकार के फैसलों का बचाव किया और ये कहा कि सरकार के अधिक पैसे निवेश करने पर भी देश की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं होगा.
यह तर्क देते हुए कि देश में पर्याप्त स्कूल शिक्षक हैं, उन्होंने कहा, “ये शिक्षा में क्वांटिटी की नहीं, क्वांटिटी की बात है. चाहे शिक्षक स्कूल में जाएं या नहीं. क्या वे अच्छा पढ़ाते हैं? क्या वे बच्चे को होमवर्क करवाते हैं? क्या वे बच्चे को सिर्फ पास नहीं करते हैं बल्कि ये भी देखते हैं कि बच्चा सीखा है या नहीं? ये पैसे की बात नहीं है, इसलिए वास्तव में शिक्षा में अधिक पैसा लगाने से कुछ हासिल नहीं होगा.”
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के लिए अधिक धन का आवंटन भी केवल “बुद्धिजीवियों के विवेक के लिए एक एसओपी होगा कि हम इसके लिए कुछ कर रहे हैं”. जबकि आवश्यक है कि “विश्वविद्यालय का अराजनीतिकरण” किया जाए.
टिप्पणी की आलोचना करते हुए, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने शुक्रवार को कहा कि वे न केवल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विपरीत हैं, बल्कि “शिक्षा क्षेत्र के संबंध में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा सामने लाए गए मुद्दों की अनदेखी” भी करते हैं.
एबीवीपी ने कहा, “इंटरव्यू में शिक्षा के लिए बजटीय आवंटन पर केंद्रीय वित्त सचिव की टिप्पणी शिक्षा से संबंधित मामलों पर उनकी उचित समझ की कमी को दर्शाती है और वो बेहद गैर जिम्मेदाराना है.”
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