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नई दिल्ली:
ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन ने बुधवार को कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद चीन द्वारा विश्व की सबसे बड़ी सेना बनाए जाने के खिलाफ रणनीतिक संतुलन सुनिश्चित करने में भारत एक अनिवार्य साझेदार है. एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में अपने संबोधन में, नवनियुक्त उच्चायुक्त ने एक खुला, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र रखने की इच्छा जताई. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पक्ष (आस्ट्रेलिया और भारत) क्षेत्र को एक ही नजरिये से देखते हैं और जानते हैं कि क्या किए जाने की जरूरत है.
भारत-आस्ट्रेलिया संबंधों के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि उनके देश ने (भारत के साथ) संबंधों के तेजी से प्रगाढ़ होने को महसूस किया है तथा यह और भी विस्तारित हो रहा है.
एक सिख अलगाववादी की हत्या की नाकाम साजिश में एक भारतीय का हाथ होने के वाशिंगटन के आरोपों और एक खालिस्तानी चरमपंथी की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता के कनाडा के आरोप के परोक्ष संदर्भ में, ग्रीन ने कहा कि नयी दिल्ली और कैनबरा संवेदनशील मुद्दों का प्रबंधन कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हम अमेरिकी और कनाडाई क्षेत्र में कथित गतिविधियों के बारे में हमारी चिंताओं सहित संवेदनशील मुद्दों का प्रबंधन कर रहे हैं.” ग्रीन ने कहा, ‘‘हमें रणनीतिक संतुलन हासिल करने के लिए साझेदारों की जरूरत है-ऐसे साझेदार, जिनके साथ हम एक साझा उद्देश्य रखते हैं.”
उन्होंने कहा कि भारत एक अनिवार्य साझेदार है, जो उस तरह के रणनीतिक संतुलन को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है जिसकी हमें आवश्यकता है. आस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त ने भारत-ऑस्ट्रेलिया साझेदारी, इसके महत्व और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के अपने पहले सार्वजनिक विश्लेषण में यह कहा.
उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से चीन की सेना अब किसी भी देश की तुलना में सबसे बड़ी है और इसका आकार बढ़ाने की कवायद बगैर किसी पारदर्शिता के की जा रही. उन्होंने कहा, ‘‘हम व्यापार के लिए बलपूर्वक उपाय करने, राजनीतिक हस्तक्षेप और दुष्प्रचार का इस्तेमाल देख रहे हैं. कुछ देशों का ऐसा कृत्य अन्य की संप्रभुता का अतिक्रमण करता है.”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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