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खालिस्तान समर्थकों द्वारा 2 जुलाई को ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में आगजनी का कृत्य दिखाया गया था. यह कुछ महीनों के भीतर हिंसा की दूसरी घटना थी.
शु्क्रवार को बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिकियों ने हालिया हिंसा के कृत्य के खिलाफ यहां भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर एक शांतिपूर्ण रैली की और भारत का समर्थन किया. प्रदर्शनकारियों ने उक्त हिंसा को आतंकवादी कृत्य बताया और हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कठघरे में खड़ा करने की मांग की.
अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने बृहस्पतिवार को यहां वाणिज्य दूतावास का दौरा किया था और मिशन में भारतीय राजनयिकों और अधिकारियों से मुलाकात की थी.
भारत ने कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे अपने साझेदार देशों से कहा है कि वे ‘चरमपंथी खालिस्तानी विचारधारा’ को तवज्जो नहीं दें क्योंकि यह द्विपक्षीय संबंधों के लिए ‘अच्छा नहीं’ है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस महीने की शुरुआत में नई दिल्ली में कहा था, ‘‘हमने कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे हमारे सहयोगी देशों, जहां खालिस्तानी गतिविधियां हुई हैं, उनसे आग्रह किया है कि वे खालिस्तानियों को तवज्जो नहीं दें, क्योंकि उनकी (खालिस्तानियों की) चरमपंथी, अतिवादी सोच न तो हमारे लिए, न ही उनके लिये और न ही उनसे (उन देशों से) हमारे संबंधों के लिए ठीक है.”
गत 19 मार्च को खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला किया था और उसे नुकसान पहुंचाया था.
खालिस्तान समर्थक नारे लगाते हुए, प्रदर्शनकारियों ने शहर की पुलिस द्वारा लगाए गए अस्थायी सुरक्षा अवरोधकों को तोड़ दिया था और वाणिज्य दूतावास परिसर के अंदर दो तथाकथित खालिस्तानी झंडे लगा दिए थे. वाणिज्य दूतावास के दो कर्मियों ने जल्द ही उन झंडों को हटा दिया था.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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