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नई दिल्ली:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट, (XPoSAT)) के प्रक्षेपण से नववर्ष का स्वागत किया. ये उपग्रह ब्लैक होल जैसी खगोलीय रचनाओं के रहस्यों से पर्दा उठाएगा. आइए जानते हैं इसरो का XPoSAT मिशन क्या है?
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह समेत कुल 11 उपग्रहों को लेकर जा रहे एक पीएसएलवी रॉकेट का सोमवार को प्रक्षेपण किया.
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XPoSat यानी एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट का वजन 469 किलोग्राम है. यह उपग्रह ब्लैक होल जैसी खगोलीय रचनाओं के रहस्यों से पर्दा उठाएगा.
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XPoSAT सबसे चमकीले तारों का अध्ययन करेगा. इस मिशन के तहत ये जानने की कोशिश की जाएगी कि तारों का अंत कैसे होता है और अपने अंत के बावजूद वो कैसे चमकते रहते हैं.
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इसरो के अनुसार, यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है.
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XPoSAT को तैयार करने में एक दशक से ज़्यादा समय लगा है. ये पूरी तरह से भारतीय मिशन है और अभी तक NASA ने ही ऐसा उपग्रह बनाया है.
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XPoSat उपग्रह की लागत लगभग 250 करोड़ रुपये के आसपास आई है.
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भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अलावा अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दिसंबर 2021 में सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों, ब्लैक होल से निकलने वाली कणों की धाराओं और अन्य खगोलीय घटनाओं का ऐसा ही अध्ययन किया था.
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इसरो का ये मिशन उसके सबसे भरोसेमंद लॉन्च व्हीकल PSLV से किया गया है. PSLV की ये साठवीं उड़ान है.
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ब्रह्मांड के रहस्यों का पता लगाने के लिए एक साल से भी कम समय में यह भारत का तीसरा मिशन है.
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पहला ऐतिहासिक चंद्रयान-3 मिशन था, जिसे 14 जुलाई, 2023 को लॉन्च किया गया था, और इसके बाद 2 सितंबर, 2023 को आदित्य-एल1 लॉन्च किया गया था. (ये भाषा इनपुट)
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