Law Minister Reaction On PM Modi BBC Documentary Case Reaching Court Ndtv Hindi Ndtv India – ये सुप्रीम कोर्ट के समय की बर्बादी; बीबीसी डॉक्यूमेंट्री मामले के कोर्ट में पहुंचने पर बोले कानून मंत्री

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर ‘प्रतिबंध’ लगाने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है.

गुजरात दंगों पर पीएम मोदी को लेकर बनाई गई बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर ‘प्रतिबंध’ लगाने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है. इसी मसले पर देश के कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने अपनी प्रतिक्रिया दी हैं. उन्होंने डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं को “सुप्रीम कोर्ट के कीमती समय की बर्बादी” करार दिया. गुजरात दंगों के दौरान पीएम मोदी के नेतृत्व पर सवाल उठाने वाली बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की क्लिप को साझा करने से रोकने वाले एक सरकारी आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते विचार करेगा.

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कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट किया, “इस तरह वे माननीय सर्वोच्च न्यायालय का कीमती समय बर्बाद करते हैं जहां हजारों आम नागरिक न्याय के लिए इंतजार कर रहे हैं और तारीख मांग रहे हैं.” “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन” शीर्षक वाली डॉक्यूमेंट्री को सरकार द्वारा एक पक्षपाती बताकर इसे खारिज कर दिया गया है, साथ ही सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी क्लिप को साझा करने पर रोक लगा दी है. सरकार के सलाहकार कंचन गुप्ता ने ट्विटर पर कहा, आईटी नियमों के तहत सरकार को उपलब्ध आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करके क्लिप को साझा करने से रोकने के निर्देश जारी किए गए थे.

बीबीसी का कहना है कि डॉक्यूमेंट्री पर “गंभीरता से शोध” किया गया था और इसमें भाजपा की प्रतिक्रियाओं सहित कई तरह की राय शामिल थीं. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में से एक में सरकार के कदम का विरोध किया है. डॉक्यूमेंट्री के सोशल मीडिया लिंक को हटाने के आदेश पर वकील प्रशांत भूषण, पत्रकार एन राम और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा एक अलग याचिका दाखिल की गई है.

देश के कई छात्र संगठनों और विपक्षी दलों ने प्रतिबंध का विरोध करते हुए डॉक्यूमेंट्री की सार्वजनिक स्क्रीनिंग का आयोजन किया है. कई कॉलेजों में छात्रों की कॉलेज के अधिकारियों और पुलिस से झड़प हुई और कुछ को थोड़े समय के लिए हिरासत में लिया गया. सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में हुई जांच के बाद 2012 में पीएम मोदी को दोषमुक्त कर दिया गया था और उनकी रिहाई पर सवाल उठाने वाली एक याचिका को पिछले साल खारिज कर दिया गया था. पिछले हफ्ते, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी डॉक्यूमेंट्री को प्रौपेगैंडा करार दिया था.

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