Lok Sabha Elections 2024 Bihar NDA LJP Chirag Paswan Statement On Uncle Pashupati Paras Sideline – चाचा को हाजीपुर से लड़ना है तो लड़े, मैं घबराता नहीं : पशुपति पारस के ऐलान पर बोले चिराग पासवान

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बिहार में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( NDA) में सीटों का बंटवारा हो गया है. BJP 17 और JDU 16 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. वहीं, चिराग पासवान (Chirag Paswan) की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP-R) को 5 सीटें दी गई हैं. जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 1-1 सीट मिली है. वहीं, चिराग के चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras ) की पार्टी को एक भी सीट नहीं दी गई है. जिसके बाद नाराजगी जताते हुए पशुपति पारस ने मंगलवार को मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet) से इस्तीफा दे दिया. 

पशुपति पारस ने कहा कि NDA ने उनके साथ नाइंसाफी की है. बताया जा रहा है कि वह INDIA अलायंस के संपर्क में हैं और हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे. इस बीच चिराग पासवान ने कहा कि वो हाजीपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. चिराग ने कहा, “मैं NDA उम्मीदवार के तौर पर हाजीपुर से चुनाव लड़ रहा हूं. चाचा पशुपति पारस चुनाव लड़ते हैं, तो उनका स्वागत हैं. मैं किसी चुनौती से घबराता नहीं हूं. उनके साथ जो कुछ हुआ, उसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं. मैं न तो 3 में हूं और न ही 13 में हूं.”

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चिराग पासवान ने बुधवार को NDTV के साथ खास बातचीत में ये बातें कही. उन्होंने कहा, “मुझे पिताजी (राम विलास पासवान) के अधूरे सपनों को पूरा करना है. बेटा होने के नाते उनकी बातों को मुझसे बेहतर कोई और नहीं समझ सकता है. पिताजी नहीं हैं, तो मेरी जिम्मेदारी बनती हैं. अगर मैं उन जिम्मेदारियों को नहीं संभाल पाया, तो मेरे बेटे होने का क्या फायदा.” 

चाचा ने लिया था पार्टी और परिवार से अलग होने का फैसला 

चाचा पशुपति पारस के मौजूदा हालत के बारे में पूछने पर चिराग पासवान ने कहा, “पार्टी और परिवार से अलग होने का फैसला उन्हीं का था. मेरी मां और भाई-बहन हैं. सबको मिल बैठकर फैसला लेना है. मैं अकेले कुछ नहीं कर सकता हूं. चाचा ने कई व्यक्तिगत आरोप भी लगाए. मैंने उनके बारे में कभी कुछ नहीं कहा.” 

कभी नहीं चाहता था पार्टी और परिवार में टूट हो

परिवार में टूट को लेकर चिराग पासवान कहते हैं, “मुझे समझ में नहीं आया कि रिश्तों में कब इतनी दूरियां आ गईं. मैं चाचा पशुपति पारस से कहने गया था कि अगर आप लोक जनशक्ति पार्टी का अध्यक्ष बनना चाहते हैं, तो बेशक बने रहिए. मैं बस इतना चाहता था कि पार्टी और परिवार न टूटे. जब मैं उनके घर गया, तो उनकी पत्नी (चाची) सामने आईं. उन्होंने कहा कि जो मेरे साथ हो रहा है, वो अच्छा हो रहा है. चाची ने मुझे कभी मुझे अपना बेटा माना ही नहीं.”

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चिराग पासवान आगे कहते हैं, “मैं अपनी लड़ाई में लगा रहा. मुझे सीटें हासिल करनी थीं. बाकी सहयोगियों के साथ क्या हो रहा था, इसकी मुझे कोई चिंता नहीं थी. जब आप बड़े लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते हैं, तो छोटे-छोटे मुद्दों पर ध्यान नहीं देना चाहिए. आपसी मतभेद को भुलाकर सबको मिलकर 400 सीट जिताने में जुट जाना चाहिए.” 

बिहार की राजनीति मेरी प्राथमिकता

इस दौरान चिराग पासवान ने राजनीति में आने का कारण भी बताया. उन्होंने कहा, “राजनीति में आने का कारण यह है कि बिहारियों को दूसरे राज्य में अपमानित किया जाता है. बिहारी के स्वाभिमान के लिए मैं राजनीति में आया. बिहार की राजनीति मेरी प्राथमिकता रहेगी.”

पीएम मोदी ने हमेशा दिया संरक्षण

चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा, “पीएम मोदी और हमारे बीच गहरा रिश्ता है. उन्होंने हमेशा इस रिश्ते का सम्मान किया है. उन्होंने हमेशा हमें संरक्षण दिया है.”

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NDA के साथ ज्यादा पार्टियां

चिराग पासवान ने कहा कि चुनाव से पहले सर्वे कुछ भी कहे लेकिन ये सच है कि आज ज़्यादा पार्टियां NDA के साथ हैं. हम लोकसभा को एक पड़ाव मान कर चल रहे हैं. विधानसभा में भी सब मिलकर लड़ेंगे और सरकार बनाएंगे.

तेजस्वी भी लड़ रहे अपनी लड़ाई

चिराग पासवान ने इस दौरान बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का जिक्र भी किया. उन्होंने कहा, “यह अच्छी बात है कि बिहार में तेजस्वी यादव और मैं अपनी-अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं. अब देखना है जनता किसपर भरोसा दिखाती है.”

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LJP में 3 साल पहले हुई टूट

दिवंगत रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) 3 साल पहले टूट गई थी. पार्टी के पांच सांसदों- पशुपति कुमार पारस (चिराग के चाचा), चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज (चिराग के चचेरे भाई) ने मिलकर राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया था. इन सांसदों ने पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया था. उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ संसदीय दल के नेता का जिम्मा भी सौंपा गया था. वहीं, LJP में चिराग पासवान समेत कुल छह ही सांसद रह गए थे. चिराग पासवान के गुट को नाम लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (LJP-R) मिला. बाद में पशुपति पारस गुट NDA के साथ गठबंधन में आ गई. पारस केंद्रीय मंत्री भी बने.

 

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