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मुंबई:
बंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने एक अंतरिम आदेश में पुलिस को ऐसे ‘मॉक ड्रिल’ करने से रोक दिया है जिसमें आतंकवादियों की भूमिका निभाने वाले पुलिस कर्मियों को एक खास समुदाय का दिखाया जाता है. पुलिस आतंकवादी हमलों समेत विभिन्न प्रकार की आपात स्थितियों से निपटने में अपनी तैयारियों का आकलन करने के लिए ऐसे मॉक ड्रिल करती है.
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उच्च न्यायालय सामाजिक कार्यकर्ता सैयद उसामा की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें आरोप लगाया गया कि पुलिस विभाग द्वारा किए जा रहे मॉक ड्रिल में ऐसी वेशभूषा पहनी जाती है और ऐसे नारे लगाए जाते हैं जो यह दिखाते हैं कि आतंकवादी मुस्लिम थे.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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