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आसान शब्दों में कहा जाए तो सरकार ने बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रति टन निर्धारित कर दिया है. अगर कोई निर्यातक इससे नीचे मूल्य पर कोई डील करता है, तो उसे रजिस्ट्रेशन और अलॉटमेंट सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाएगा.
हाल के महीनों में देश से अच्छी मात्रा में बासमती चावल का निर्यात हुआ है, जबकि आगे भी इसका सिलसिला जारी रहने की उम्मीद की जा रही थी.
गैर-बासमती सफेद चावल पर भी लगा बैन
पिछले महीने सरकार की ओर से घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने और रिटेल कीमत को नियंत्रण में रखने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को बैन कर दिया गया था. पिछले साल सितंबर में सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर बैन लगाया था.
पक्के चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क
वहीं, भारत सरकार की ओर से शुक्रवार को पक्के चावल (Parboiled Rice) के निर्यात पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा दिया गया है. सरकार ने ये कदम घरेलू स्तर पर पर्याप्त स्टॉक रखने और कीमतों को काबू में रखने के लिए लिया. वित्त मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया कि 25 अगस्त को लगाया गया यह निर्यात शुल्क 16 अक्टूबर 2023 तक लागू रहेगा.
किन चावलों पर होगी छूट?
वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इस निर्यात शुल्क से उन पक्के चावलों को राहत होगी, जिन्हें LEO (let Export Order) नहीं मिला है और पोर्ट्स पर पहुंच चुके हैं. साथ ही 25 अगस्त 2023 से पहले के लेटर ऑफ क्रेडिट मिले हुए हैं.
कितने चावल का निर्यात करता है भारत?
चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-जून के बीच भारत की ओर से 15.54 लाख टन गैर-बासमती सफेल चावल का निर्यात किया गया था, जो कि पिछले साल केवल 11.55 लाख टन था. गैर-बासमती सफेद चावल पर बैन लगाने का कारण खाद्य वस्तुओं की अधिक कीमत का होना था.
खुदरा महंगाई दर 15 महीने के उच्चतम स्तर
खाद्य वस्तुओं की कीमत बढ़ने के कारण ही जुलाई में खुदरा महंगाई दर 15 महीने के उच्चतम स्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो कि जून में 4.87 प्रतिशत थी.
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