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आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ नेताओं के बारे में, जिनकी किसी न किसी मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद विधानसभा या लोकसभा की सदस्यता चली गई है:-
1. इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी: राहुल गांधी के साथ हुई यह कार्रवाई गांधी परिवार के साथ ऐसा पहला मामला नहीं है. इससे पहले साल 1978 में राहुल की दादी इंदिरा गांधी और साल 2006 में मां सोनिया गांधी भी अपनी सदस्यता गंवा चुकी हैं. हालांकि इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी ने उपचुनाव में जीत हासिल करके सदन में एंट्री ले ली थी.
2.लालू प्रसाद यादवः लालू प्रसाद यादव को रांची की एक विशेष अदालत ने 3 अक्टूबर 2013 को चारा घोटाले मामले में दोषी करार दिया था. इसके बाद संसदीय अधिसूचना से उनकी लोकसभा सदस्यता अयोग्य घोषित कर दी गई थी.
3. आजम खान: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान की सदस्यता भी चली गई है. आजम खान रामपुर से लगातार 10 बार विधायक चुने जा चुके हैं और सांसद भी रहे. आजम खान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अभद्र टिप्पणी का आरोप लगा था. इस मामले में तीन साल तक कोर्ट में केस चला और फिर कोर्ट ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई.
4. अब्दुल्ला आजम: आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम की भी विधानसभा सदस्यता रद्द हो गई. मुरादाबाद की एक विशेष अदालत ने 15 साल पुराने मामले में सपा महासचिव आजम खान और उनके विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम को दो साल की सजा सुनाई थी.
5. विक्रम सैनी: मुजफ्फरनगर की खतौली से विधायक रहे विक्रम सैनी की भी सदस्यता चली गई है. विक्रम दंगे में शामिल होने के दोषी पाए गए थे. ये मामला 2013 का है. तब मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे, उस समय विक्रम सैनी जिला पंचायत सदस्य थे और उनका नाम दंगों में आया था.
6.मोहम्मद फैजल: लक्षद्वीप सांसद मोहम्मद फैजल को भी कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है. जिसके बाद उनकी सदस्यता चली गई थी. चुनाव आयोग ने लक्षद्वीप लोकसभा पर उपचुनाव कराने के लिए अधिसूचना भी जारी कर दी थी. हालांकि, बाद में केरल हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी है. अभी ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
7. कुलदीप सिंह सेंगर: उन्नाव रेप कांड में दोषी ठहराए गए बीजेपी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की भी सदस्यता जा चुकी है. कुलदीप सेंगर को रेप मामले में दोषी ठहराया गया था. कोर्ट ने आजीवन करावास की सजा सुनाई गई थी.
8. खब्बू तिवारी: भारतीय जनता पार्टी से अयोध्या की गोसाइगंज सीट से विधायक रहे इंद्र प्रताप सिंह उर्फ खब्बू तिवारी की सदस्यता 2021 में चली गई थी. खब्बू तिवारी फर्जी मार्कशीट केस में दोषी पाए गए थे. 18 अक्टूबर 2021 को एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा उन्हें पांच साल की सजा सुनाई थी.
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