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रेलवे अधिकारियों ने दुर्घटना वाले क्षेत्र को हरे कपड़े से ढंक दिया है, लेकिन पटरियों के किनारे कर दिए गए दुर्घटनाग्रस्त डिब्बों को आसानी से देखा जा सकता है.
अपनी पत्नी के साथ दुर्घटना स्थल पर पहुंचे अशोक बहेरा ने कहा, ‘‘मैं भुवनेश्वर से यहां आया हूं. मेरे पास भावनाएं व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं.” अशोक की पत्नी रूपा ने कहा, ‘‘ईश्वर घायलों को जल्दी स्वस्थ करें.”
अशोक और रूपा की तरह ही बालासोर का 12वीं का छात्र अर्जुन जेना भी अपने दोस्तों के साथ इस स्थान पर पहुंचा. उसने कहा, ‘‘रेल दुर्घटना के शिकार लोगों के साथ क्या गुजरी होगी, उस बारे में सोचकर ही मैं कांपने लगता हूं. मुझे इसमें किसी तरह की साजिश की आशंका नहीं लगती, लेकिन जांच के दौरान हर पहलू को देखा जाना चाहिए.”
दुर्घटना के बाद अब तक लापता लोगों के रिश्तेदार उनकी तलाश में बालासोर, भुवनेश्वर तथा कटक के अस्पतालों एवं मुर्दाघरों में जाने से पहले इस स्टेशन पर आ रहे हैं.
पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मेदिनीपुर निवासी कृष्ण दास ने कहा, ‘‘मैं अपने भाई के साथ ट्रेन में जा रहा था. दुर्घटना के बाद, मैं ट्रेन से निकलने में सफल तो रहा लेकिन काफी जख्मी था. ट्रेन से बाहर आने के बाद मैं अपने भाई को पुकारता रहा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. इसके बाद मैं बेहोश हो गया और सुबह बालासोर के एक अस्पताल में जागा.”
उसने संवाददाताओं से कहा, ‘‘चार दिन गुजर गए हैं और मैंने पिछले तीन दिन में बालासोर, भुवनेश्वर तथा कटक के लगभग सभी अस्पतालों को देख लिया है लेकिन उसका पता नहीं चला है.”
इस बीच, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का एक दल दुर्घटना की जांच के लिए बाहानागा पहुंच गया है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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