Pariksha Pe Charcha 2024: PM Modi Said, I Never Cry, I Never Keep Any Window Open For Disappointment… – Pariksha Pe Charcha 2024: PM मोदी ने कहा, मैं कभी रोता-बैठता नहीं, निराशा के लिए मैंने कोई खिड़की खुली नहीं रखी…

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परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के दौरान एक छात्र और उत्तराखंड की एक छात्रा ने एमपी मोदी से पूछा कि आप सुपर पावर वाले पॉजिशिन पर रहते हुए अपने स्ट्रेस को कैसे हैंडल करते हैं. अपनी बिजी लाइफ में प्रेशर को कैसे हैंडल करते हो, इतना प्रेशर होते हुए भी हमेशा सकारात्मक कैसे रह पाते हैं. आप अपने सकारात्मक ऊर्जा का रहस्य साझा करें.  

तनाव को दूर करने के लिए क्या करते हैं. इस सवाल के जवाब पर पीएम मोदी ने हंसते हुए कहा कि क्या आप भी प्रधानमंत्री बनना चाहते हो, तैयारी कर रहे हो… उन्होंने कहा इसके कई जवाब हो सकते हैं, लेकिन यह बात जानकर मुझे खुशी हुई है कि आप समझते हो कि एक प्रधानमंत्री को कितना प्रेशर होता है. दरअसल हरके के जीवन में अपनी स्थिति से अतिरिक्त ऐसा बहुत सी चीजें होती हैं, जिसे उन्हें मैनेज करना होता है, जो उसने सोचा नहीं, वैसी चीजें व्यक्तिगत जीवन में भी आ जाती हैं, उसे भी देखना पड़ता है. किसी व्यक्ति का ऐसा नेचर होता है कि कोई संकट आया है मुंडी नीचे कर लो, समय जाएगा. शायद ऐसे लोग जीवन में अचीव नहीं कर सकते. जहां तक बात मेरी है तो मैं आपको बता दें कि मेरी प्रकृति है कि मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं. चुनौती जाएगी और स्थितियां सुधर जाएंगी, मैं इसकी प्रतिक्षा नहीं करता. इसके चलते मुझे नया-नया सीखने को मिलता है, हर परिरस्थिति से निपटने के लिए नया प्रयोग, नई रणनीति करना मेरा विधा है, जो मेरा विकास करता है. दूसरा मेरे भीतर एक बहुत बड़ा कॉन्फिडेंस है, मैं हमेशा मानता हूं कि कुछ भी है तो 140 करोड़ देशवासी मेरे साथ हैं. अगर 100 मिलियन चुनौतियां हैं तो बिलियन्स ऑफ बिलियन्स समाधान भी हैं. मुझे कभी नहीं लगता है कि मैं अकेला हूं या मुझे करना है. मुझे हमेशा पता होता है कि मेरा देश सामर्थ्यवान है. हम हर चुनौती को पार कर जाएंगे, ये ही मेरा मूलभूत है. इसलिए मैं अपनी शक्ति देश का सामर्थ्य को बढ़ाने में लगा रहा हूं.

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मैं तो एक चाय बेचने वाला

मैं क्या करूं, मैं कैसे करूं, मैं तो एक चाय बेचने वाला इंसान हूं, मैं ऐसे नहीं सोच सकता हूं. भरोसा होना चाहिए. इसलिए आप जिनके लिए कर रहे हैं, उन्हें आप पर अपार भरोसा होना चाहिए. दूसरा आपके पास नीर-क्षीर का विवेक होना चाहिए. यानी क्या गलत है क्या सही है. कौन सा आज जरूरी है कौन सा बाद में. प्राथमिकता तय करने का सामर्थ्य चाहिए, यह अनुभव से आता है. हर चीज को एनालाइज करने से आता है. 

गलतियों को लेशन मानता हूं

तीसरा प्रयास ये करता हूं कि गलती भी हो जाए तो यह मान कर चलता हूं कि यह मेरे लिए लेशन है. मैं इसे निराशा का कारण नहीं मानता हूं. कोरोना काल में हर रोज लोगों के समक्ष आकर कभी ताली बजाने को तो कभी थाली बजाने को कहता, ये एक्ट कोरोना को खत्म नहीं करता है, बल्कि मनोबल को बढ़ाता है. मेरा गर्वनेंस का एक सिद्धांत रहा है कि सरकार सही तरीके से चलाने के लिए नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे तक सही जानकारी का प्रवाह होना चाहिए. ऊपर से नीचे की तरह परफेक्ट गाइडेंस होना चाहिए. ये टू वे चैनल के सही रहने पर हर परेशान से उबरा जा सकता है. 

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निराशा के सारे दरवाजे बंद

निराश होने का कारण ही नहीं होता है जीवन में. और अगर एक बार तय कर लिया कि निराश नहीं होना है, तो सिवाए पॉजिटिविटी कुछ आता ही नहीं है. मेरे यहां निराशा के सारे दरवाजे बंद हैं. कोई कोना व कोई खिड़की भी मैंने खुली नहीं रखेगी, जिसे निराशा वहां से घुस जाएगी. मैं कभी रोता-बैठता नहीं हूं. पता नहीं क्या होगा, वह मेरे साथ आएगा या नहीं. ये सब होता रहता है. इसलिए मैं मानता हूं कि जीवन में अपने लक्ष्य को लेकर आत्मविश्वास से भरे हुए होना चाहिए. साथ ही जब खुद के लिए कुछ करना तय होता है तो निर्णयों में कभी भी दुविधा पैदा नहीं होती. यह एक बहुत बड़ी अमानत मेरे पास है. 

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