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नई दिल्ली:
अमेरिकी फाइनेंशियल रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग इन दिनों लगातार सुर्खियों में है. यह एजेंसी खुद को ‘शॉर्ट सेलर’ बताती है और इसके जरिये तगड़ा मुनाफा कमाती है. कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) कंपनी अपनी रिपोर्ट्स और शॉर्ट सेलिंग के जरिये कई कंपनियों के शेयर्स गिरा चुकी है. कंपनी का दावा है कि उसके पास इस तरह के निवेश को लेकर दशकों का अनुभव है. हिंडनबर्ग रिसर्च एक अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म है, जो कंपनियों के शेयर गिराकर मुनाफा कमाने के लिए उसके खिलाफ कई तरह के रिपोर्ट जारी करती है.
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हाल में हिंडनबर्ग रिसर्च ने हाल में अडानी ग्रुप (Adani Group) के खिलाफ एक रिपोर्ट जारी की. हालांकि, अडानी ग्रुप ने इस रिपोर्ट को निराधार बताया है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट आई है. हिडनबर्ग रिसर्च केवल एक रिसर्च फर्म नहीं बल्कि एक ‘शॉर्ट सेलर फर्म है, जो इस तरह के दांव चलकर मुनाफा कमाने की कोशिश करती रहती है.
BQ प्राइम की रिपोर्ट के अनुसार, अडानी ग्रुप की कंपनियों को शॉर्ट करना आसान नहीं है. भारतीय-सूचीबद्ध संस्थाओं के पास अपेक्षाकृत कम फ्री फ्लोट और कुछ संस्थागत निवेशक हैं, जिसका मतलब है कि छोटे विक्रेताओं के लिए उधार लेने के लिए शेयरों की कमी है, और इसलिए वे अधिक महंगे हैं. ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के अनुसार, 10 में से नौ शेयरों में संस्थापकों और नियंत्रित शेयरधारकों की कम से कम 60% हिस्सेदारी है.
भारत में शॉर्ट सेलिंग पर कई तरह से नियंत्रित किए गए हैं. हालांकि, यह फैक्ट है कि अडानी के शेयरों में शॉर्ट सेलिंग भी कम हुई. अमूमन शॉर्ट सेलिंग होने पर शॉर्ट कवरिंग शेयरों को और नीचे जाने से रोक देती है. पिछले हफ्ते शॉर्ट-सेलिंग स्पेशलिस्ट स्कॉर्पियन कैपिटल पार्टनर्स ने एक ट्वीट में कहा, “मजेदार विडंबना यह है कि अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर गिर रहे हैं या आंशिक रूप से नीचे आ हैं, क्योंकि भारत में शॉर्ट सेलिंग करना काफी मुश्किल है.”
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