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हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में कथित शिवलिंग मिला है. वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि पुराना पड़ा फव्वारा है.
हिंदू पक्ष के वकील ने दी थी ये दलील
वाराणसी जिला जज की कोर्ट में 14 जुलाई को हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था- “ज्ञानवापी आदिविश्वेश्वर का मूल स्थान है. यह लाखों लोगों की भावनाओं से जुड़ा है. सर्वे के दौरान पश्चिमी दीवार पर मिले निशान और अवशेषों ने बताया कि यह मंदिर की दीवार है. ओरल एवीडेंस के आधार पर कोई पक्ष नहीं रखा जा सकता, इसलिए सर्वे अनिवार्य है. हम संपूर्ण परिसर के सर्वे की मांग को उठा रहे हैं, जिससे सभी को पता चलेगा कि यह परिसर स्वयंभू आदिविश्वेवर मंदिर है. सर्वे के बाद यह वाराणसी का इतिहास सामने होगा.”
मुस्लिम पक्ष की थी ये दलील
मुस्लिम पक्ष ने कहा- ‘यहां पहले से मस्जिद थी, जिसे किसी धार्मिक स्थल के स्थान पर नहीं बनाया गया.’ वाराणसी कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनकर फैसला सुरक्षित कर लिया था.
ज्ञानवापी और आदि विश्वेश्वर मामलों के स्पेशल एडवोकेट राजेश मिश्रा ने बताया कि वाराणसी के जिला जज ए के विश्वेश ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया. मिश्रा ने बताया कि ए के विश्वेश की अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका को स्वीकार करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी है.
विश्वेश की अदालत ने पूरे ज्ञानवापी परिसर की पुरातात्विक और वैज्ञानिक जांच कराने की मांग से संबंधित मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद आज (21 जुलाई) के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था.
कार्बन डेटिंग पर भी लगी है रोक
ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग के साइंटिफिक सर्वे और कॉर्बन डेटिंग के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कार्बन डेटिंग का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगाई है. कोर्ट ने कहा- इस मामले में संभलकर चलने की जरूरत है. हाईकोर्ट के आदेश की बारीकी से जांच करनी होगी.
मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के फैसले को दी थी चुनौती
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से वकील हुजेफा अहमदी ने यह याचिका दायर की. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और केवी विश्वनाथन की पीठ ने इसकी सुनवाई की.
पिछले साल दिसंबर में लगाई थी याचिका
ज्ञानवापी से जुड़े शृंगार गौरी वाद की महिला वादियों (रेखा, सीता, मंजू, लक्ष्मी) ने पिछले साल दिसंबर में जिला जज की कोर्ट में एप्लिकेशन देकर 7 मामलों की सुनवाई एक साथ एक ही कोर्ट में करने की मांग की थी. इस केस पर जिला जज की अदालत ने 17 अप्रैल को आदेश पारित किया था कि उनकी कोर्ट में सभी 7 मामलों की फाइलों को रखा जाए.
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