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केंद्र सरकार ने पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव को देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला किया है. केंद्र सरकार ने पीवी नरसिम्हा राव के अलावा जिन दो अन्य लोगों को ये सम्मान देने का ऐलान किया है उनमें पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह और मशहूर वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन भी शामिल हैं.
आइय आज हम जानते हैं कि भारत की राजनीति में पीवी नरसिम्हा राव का क्या योगदान है…
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पीवी नरसिम्हा राव देश के 9वें प्रधानमंत्री थे. उन्हें देश में आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में भी जाना जाता है. पीवी नरसिम्हा राव को राजनीति के अलावा कला, संगीत और साहित्य आदि विभिन्न क्षेत्र में अच्छी समझ रखते थे. उन्हें कई भाषाएं आती थी. यही थी कि वह बोलचाल में कई भाषाओं का इस्तेमाल करते थे.
Delighted to share that our former Prime Minister, Shri PV Narasimha Rao Garu, will be honoured with the Bharat Ratna.
As a distinguished scholar and statesman, Narasimha Rao Garu served India extensively in various capacities. He is equally remembered for the work he did as… pic.twitter.com/lihdk2BzDU
— Narendra Modi (@narendramodi) February 9, 2024
पीवी नरसिम्हा राव का पूरा नाम पामुलापार्ती वेंकट नरसिम्हा राव था. उनका जन्म 28 जून 1921 में करीम नगर गांव, हैदराबाद. उनका निधन 23 दिसंबर 2004 में हुआ था. पीवी नरसिम्हा राव दक्षिण भारत से देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने वाले पहले शख्स थे. राव को भाषाओं में खासी रुचि थी. उन्हें भारतीय भाषाओं के साथ ही फ्रांसीसी और स्पेनिश भाषाओं का भी काफी शौक था. वे ये भाषाएं बोल और लिख भी सकते थे.
पीवी नरसिम्हा राव 1962 से 1971 तक आंध्र प्रदेश के एक मजबूत राजनेता थे. सन 1971 से 1973 तक उन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के दौर पर अपना योगदान दिया था. राव को शुरू से कांग्रेस पार्टी के लिए समर्पित माना जाता था. कहा जाता है कि उन्होंने आपातकाल के दौरान उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का खूब साथ दिया था.
पीवी नरसिम्हा राव स्वतंत्रता संग्राम में बतौर कार्यकर्ता कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे. उन्होंने बाद में लोकसभा में आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व भी किया. राव ने वर्ष 1980 से 84 तक देश के विदेश मंत्री के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी थी. आपको बता दें कि पीवी नरसिम्हा राव ने डॉ. मनमोहन सिंह को देश का वित्त मंत्री बनाया था. पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में ही ए पी जे अब्दुल कलाम ने परमाणु के परिक्षण की तरफ जोर दिया, पर 1996 के आम चुनाव के कारण यह उस वक्त सम्भव नहीं हुआ.
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