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नई दिल्ली:
Economic Outlook 2023: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) यानी आईएमएफ (IMF) ने सोमवार को एशिया-पैसिफिक रीजन के लिए अपने इकोनॉमिक आउटलुक जारी किए हैं. IMF के मुताबिक, इस साल ग्लोबल इकोनॉमी में भारत और चीन की हिस्सेदारी 70% रहेगी. वहीं, कोविड महामारी (Covid-19 Pandamic) और रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के चलते दुनिया के बाकी हिस्सों की इकोनॉमी में आई गिरावट इस साल भी जारी रहेगी. IMF ने रीजनल इकोनॉमिक आउटलुक (Regional Economic Outlook) में चीन की रिकवरी और भारत की ग्रोथ को देखते हुए एशिया-पैसिफिक रीजन के लिए अपने ग्रोथ पूर्वानुमान को बढ़ा दिया है.
एशिया-पैसिफिक की GDP ग्रोथ 3.8% से मुकाबले 4.6% रहेगी
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अपनी इस नई रिपोर्ट में IMF ने अनुमान जताया है कि इस साल एशिया-पैसिफिक की GDP ग्रोथ पिछले साल के 3.8% से मुकाबले 4.6% रहेगी. यह IMF द्वारा अक्टूबर में किए गए पूर्वानुमान से 0.3% अधिक है. पिछले पूर्वानुमान में IMF ने कहा था कि इस साल ग्लोबल ग्रोथ में एशिया की दो सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं द्वारा लगभग आधा योगदान करने की उम्मीद है. हालांकि, IMF के अपग्रेडेड आउटलुक के अनुसार, ये अर्थव्यवस्थाएं ग्लोबल ग्रोथ में 70% योगदान करेंगे.
वैश्विक विकास में भारत-चीन द्वारा लगभग आधा योगदान करने की उम्मीद
IMF ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ” 2023 में एशिया-पैसिफिक दुनिया के प्रमुख रीजन में सबसे अधिक तेजी से आगे बढ़ेंगे, जो मुख्य रूप से चीन और भारत के लिए उत्साही दृष्टिकोण से प्रेरित हैं. भारत और चीन की इकोनॉमी के इस साल वैश्विक विकास में लगभग आधा योगदान करने की उम्मीद है, जबकि शेष एशिया और प्रशांत क्षेत्र अतिरिक्त 20% योगदान देंगे.”
भारत के लिए इकोनॉमिक ग्रोथ आउटलुक 5.9% तक बढ़ाया
देश के आधार पर देखें तो IMF ने चीन के लिए ग्रोथ आउटलुक 5.2%, मलेशिया के लिए 4.5%, फिलीपींस के लिए 6% और लाओस के लिए 4% तक बढ़ाया दिया है. वहीं भारत के लिए IMF ने उम्मीद की है कि 2023 में इसका ग्रोथ आउटलुक 5.9% तक बढ़ जाएगा.
IMF ने इन देशों के लिए इकोनॉमिक आउटलुक घटाया
वैश्विक विकास को लेकर आशावदी होने के बावजूद IMF ने जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया के लिए अपना आउटलुक घटा दिया है. 2022 की अंतिम तिमाही में कमजोर बाहरी मांग, निवेश में कमी और निराशाजनक ग्रोथ के चलते 2023 में जापान के ग्रोथ आउटलुक को 1.3% तक कम कर दिया है. वहीं, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में केंद्रीय बैंकों की सख्ती से घरेलू मांग कमजोर होने से भी इस साल ग्रोथ आउटलुक 1.6% और 1.1% कम होने की उम्मीद है.
अमेरिका-यूरोप में बैंकिंग संकट का एशिया पर खास असर नहीं
IMF ने आउटलुक के जोखिमों में अमेरिकी मॉनिटरी पॉलिसी के अपेक्षा से अधिक सख्त होने और सप्लाई चेन क्राइसिस का जिक्र किया गया है. IMF ने कहा है कि अमेरिका और यूरोप में हाल की बैंकिंग उथल-पुथल के बावजूद एशिया में इसके खास प्रभाव नहीं देखे गए हैं.
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