News

Jaishankars Taunt On Rahul Gandhi, Said- He Is Taking Class From Chinese Ambassador – जयशंकर का राहुल गांधी पर तंज, कहा- वह चीनी राजदूत से ‘क्लास’ ले रहे हैं

[ad_1]

मैसुरु (कर्नाटक):

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को यहां कहा कि वह उनसे चीन के बारे में उन्हें समझाने का आग्रह करना चाहते थे लेकिन फिर पता चला कि गांधी खुद ही चीनी राजदूत के संपर्क में हैं. जयशंकर ने कहा इसके बाद उन्होंने सोचा कि सीधे मूल स्रोत से ही संपर्क करना बेहतर होगा. उन्होंने दावा किया, ‘‘मैं राहुल गांधी से चीन पर ‘क्लास’ लेने की सोच रहा था लेकिन मुझे पता चला कि वह खुद ही चीनी राजदूत से चीन पर ‘क्लास’ ले रहे हैं.” जयशंकर गांधी की इस आलोचना का जवाब दे रहे थे कि विदेश मंत्री को चीनी ख़तरे की सही समझ नहीं है.

यह भी पढ़ें

…काफी गलतबयानी हुई है

मोदी सरकार की विदेश नीति पर आयोजित सवाल-जवाब के एक सत्र को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि विदेश में भारत की प्रतिष्ठा कम न हो यह सुनिश्चित करना सभी की सामूहिक ज़िम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में चीन पर काफी गलतबयानी की गयी है. उनसे यहां एक फोरम द्वारा मोदी सरकार की विदेश नीति पर आयोजित एक संवाद सत्र के दौरान राहुल गांधी के उस बयान के बारे में पूछा गया था कि भारत चीन से खतरे को समझ नहीं पाया. उनसे यह भी पूछा गया कि देश में ही इस तरह की आलोचना से क्या अंतरराष्ट्रीय मंच पर बातचीत करने की भारत की क्षमता पर असर पड़ा है. उन्होंने कहा, ‘‘कुछ मुद्दों पर हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि कम से कम इस तरीके से बर्ताव करें कि विदेश में हमारी सामूहिक स्थिति कमजोर न हो. चीन पर पिछले तीन वर्षों में हमने देखा है कि काफी गलतबयानी हुई है.” इस संदर्भ में उन्होंने लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील पर चीन द्वारा निर्मित एक पुल के बारे में उठाए मुद्दों का जिक्र किया और एक उदाहरण दिया.

चीन पर गंभीर संवाद चाहता हूं

जयशंकर ने कहा, ‘‘विपक्ष ने कहा कि ‘आपने क्षेत्र गंवा दिया है और वे एक पुल बना रहे हैं’ लेकिन सच्चाई यह थी कि उस क्षेत्र में सबसे पहले चीनी 1959 में आए थे और फिर उन्होंने 1962 में उस पर कब्जा जमा लिया.” उन्होंने कहा, ‘‘यह चीन द्वारा निर्मित कुछ तथाकथित आदर्श गांवों के मामले में भी हुआ, वे ऐसे इलाकों में बनाए गए जिन्हें हम 1962 या उससे पहले गंवा चुके थे.” ऐसे मुद्दों को राजनीतिक रंग देने की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व में जो भी हुआ वह ‘‘एक सामूहिक नाकामी या जिम्मेदारी” थी. विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जो कुछ हुआ सो हुआ. यह हमारी सामूहिक नाकामी या जिम्मेदारी थी. मैं इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहता. मैं असल में चीन पर गंभीर संवाद चाहता हूं.” उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण रूप से विदेश नीति भी राजनीति का अखाड़ा बन गयी है.

अपराधियों के साथ नहीं बैठते

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ अपनी सख्त टिप्पणियों पर एक सवाल पर जयशंकर ने इसके लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उन्होंने ‘‘एससीओ के अलावा बाकी सभी चीजों” के बारे में बात की थी. जयशंकर ने कहा, ‘‘अगर आप देखें कि उन्होंने संवाददाता सम्मेलन तथा अन्य साक्षात्कारों में सार्वजनिक तौर पर क्या कहा था, उन्होंने कहीं भी एससीओ के बारे में बात नहीं की. उन्होंने भारत से जुड़ी हर चीज के बारे में बात की.” उन्होंने कहा कि जरदारी ने राजनीति के बारे में बात की, कश्मीर, जी20 तथा बीबीसी वृत्तचित्र पर टिप्पणियां कीं. गौरतलब है कि जयशंकर ने एससीओ बैठक के दौरान गोवा में जरदारी की टिप्पणियों पर पलटवार करते हुए कहा था कि “आतंकवाद के शिकार लोग आतंकवाद पर चर्चा करने के लिए आतंकवाद के अपराधियों के साथ नहीं बैठते हैं.”

ये भी पढ़ें-

[ad_2]
Source link

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *