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Amit Shah On PM Narendra Modi, New Parliament And Sengol – PM मोदी नए संसद भवन में करेंगे सत्‍ता के हस्‍तातंरण के प्रतीक सेंगोल की स्थापना : अमित शाह

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नई दिल्‍ली:

गृह मंत्री अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान बताया कि नए संसद भवन का उद्धाटन 28 मई को किया जाएगा. ये दिन बेहद खास होने जा रहा है, क्‍योंकि इस दौरान प्रधानमंत्री सेंगेाल को स्‍वीकार करेंगे, जो हमारी सभ्‍यता से जुड़ी एक अहम वस्‍तु है.        

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गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्धाटन करेंगे. नई संसद प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता का प्रमाण है. इस नए संसद भवन को बनाने में 60 हजार श्रमयोगियों ने अपना योगदान दिया. प्रधानमंत्री इन सभी श्रमयोगियों को सम्‍मान करेंगे. नए संसद भवन के उद्धाटन के दिन एक नई परंपरा भी शुरू होने जा रही है. इस दिन संसद भवन में सेंगोल की स्‍थाना भी होगी. इस वस्‍तु सेंगोल से हमारी सभ्‍यता भी जुड़ी हुई है. सेंगोल, अंग्रेजों से भारत को सत्‍ता हस्‍तांतरण का प्रतीक माना जाता है. ये चोल साम्राज्‍य से संबंध रखता है. और इस पर नंदी भी बने हुए हैं. ये भारत के इतिहास के लिए बेहद महत्‍वपूर्ण रखता है.

अमित शाह ने बताया कि नए संसद भवन के उद्धाटन के दिन पीएम मोदी सेंगोल स्‍वीकार करेंगे. शाह ने कहा कि 14 अगस्त 1947 को इस सेंगोल को अंग्रेजों द्वारा भारतीयों को सत्ता का हस्तांतरण हुआ था. हालांकि, आश्‍चर्य की बात यह है कि ये अब तक हमारे सामने क्यों नहीं आया? 14 अगस्त 1947 को 10.45 बजे रात को तमिलनाडु से लाए गए, इस सांगोल को स्वीकार किया था. ये सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया का पूरा किया गया था.

क्‍या है सेंगोल…? 

सेंगोल एक तमिल शब्‍द है. इसका अर्थ संपदा से जोड़ा जाता है. आज़ादी के अमृत महोत्सव में पीएम मोदी ने जो लक्ष्य तय किए थे, इसमें हमारी ऐतिहासिक परंपराओं का सम्मान करना भी शामिल है. 14 अगस्त 1947 की रात को एक अनूठी घटना हुई, जिसके बारे में अधिकांश लोगों को जानकारी नहीं है. सेंगोल सौंपकर ही अंग्रेजों ने सत्‍ता का हस्‍तांतरण कियाा गया था. जवाहर लाल नेहरू को सेंगोल सत्‍ता के हस्‍तांतरण के प्रतीक के रूप में सौंपा गया था. सेंगोल ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई है. 

पीएम मोदी को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने निर्णय लिया कि संसद के लोकार्पण के दिन इसे भी स्‍थापित किया जाएगा. नेहरूजी ने तमिलनाडु से आए सेंगोल को स्वीकार किया था. इस अवसर पर राजेंद्र प्रसाद जी जैसे व्यक्तित्व भी उपस्थित थे. 

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