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पहले पढ़िए आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बीजेपी के नेताओं के पक्ष और विपक्ष में दिए गए बयान…
गिरिराज सिंह ने आनंद को बताया ‘बेचारा’
आनंद मोहन की रिहाई पर बेगूसराय से बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह कहा, “बेचारे आनंद मोहन काफी समय तक जेल में रहे. उन्हें बलि का बकरा बनाया गया था. उनकी आड़ में जितने लोगों को छोड़ा गया है, समाज को सब पता है. आनंद मोहन की आड़ में सरकार ने काम किया है, समाज कभी नहीं माफ करेगा.”
रूडी बोले- आनंद को लेकर हुई थी साजिश
आनंद मोहन की रिहाई पर राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि सरकार का यह निर्णय यह सिद्ध करता है कि उन्हें जान-बूझकर षड्यंत्र का शिकार बनाया गया. आनंद मोहन को रिहा करके राज्य सरकार ने उनके निर्दोष होने का प्रमाण दिया है. अब राज्य सरकार को प्रायश्चित भी करना चाहिए. साथ ही नीतीश कुमार और लालू यादव को माफी मांगनी चाहिए.
सुशील कुमार ने फैसले पर उठाए सवाल
उधर, पूर्व सीएम सुशील कुमार मोदी ने नीतीश सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने ट्वीट किया, “आनंद मोहन बहाना है. सरकार माई समीकरण के दुर्दांत अपराधियों पर मेहरबान है. जघन्य मामलों में सजायफ्ता बंदियों की रिहाई असंवैधानिक है. मुख्यमंत्री बतायें जेल मैन्युयल को शिथिल करने का क्या आधार है.”
विपक्ष बोला- ‘अपराधी बाहर आएंगे और गुंडाराज फैलाएंगे’
पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार में सियासत शुरू हो गई है. नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने नीतीश सरकार से सवाल पूछा कि 2016 में सरकार ने क्या संशोधन किया था. कहा था- किसी को नहीं छोड़ा जाएगा. आज क्या मजबूरी है. आनंद मोहन को वही लोग फंसाने वाले हैं. आज वो क्यों अपराधी को छोड़ रहे हैं. वे बताएं कि किसके दबाव में यह खेल रहे हैं. अपराधी बाहर आएंगे और गुंडाराज फैलाएंगे. ये गुंडे बाहर आएंगे तो क्या करेंगे. थाने में जाकर हाजिरी लगाएंगे?
डीएम की हत्या पर हुई थी उम्रकैद
गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की 4 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर में हत्या हुई थी. इस हत्याकांड में आनंद मोहन को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. बाद में अक्टूबर 2007 में हाईकोर्ट ने सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. तब से वे जेल में हैं. जेल मैन्युअल के मुताबिक, उन्हें 14 साल की सजा पूरी करने के बाद परिहार मिल सकता था, लेकिन 2007 में जेल मैन्युअल में एक बदलाव की वजह से वे बाहर नहीं आ पा रहे थे.
बदले गए जेल के नियम
अब सरकार ने जेल से बाहर निकालने के लिए नियम बदल दिए हैं. इसके बाद आनंद मोहन समेत 27 लोगों को सोमवार को रिहाई के आदेश जारी कर दिए गए. आनंद मोहन पर 3 और केस चल रहे हैं. इनमें उन्हें पहले से बेल मिल चुकी है.
नीतीश ने आनंद को अपना मित्र बताया था
इसी साल 23 जनवरी को पटना के मिलर हाईस्कूल में महाराणा प्रताप का पुण्यतिथि समारोह हुआ था. इसमें आनंद मोहन के समर्थकों ने उन्हें रिहा करने की मांग की थी. कार्यक्रम में मौजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंच से ही इस बात की घोषणा की कि वे आनंद मोहन की रिहाई के बारे में सोच रहे हैं. काम किया जा रहा है. तब उन्होंने कहा था कि आनंद मोहन हमारे मित्र रहे हैं. जब वे जेल गए थे, तो उनसे मिलने हम लोग गए थे.
बेटे की सगाई के दिन सरकार का तोहफा
सोमवार की शाम आनंद मोहन के बेटे शिवहर विधायक चेतन आनंद की सगाई हुई है. सगाई के ही दिन आनंद मोहन की रिहाई का आदेश जारी किया गया. इस सगाई में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत बिहार के कई नेता शामिल हुए थे. सगाई की रस्में काफी धूमधाम से हुईं. सगाई के दिन ही बिहार सरकार ने उन्हें रिहाई का बड़ा गिफ्ट दिया.
रिहाई पर क्या बोले आनंद मोहन?
आनंद मोहन बेटे की सगाई के लिए पैरोल पर थे. रिहाई का आदेश मिलने के बाद यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने कहा- ‘सरकार के इस फैसले से दलितों को दुख हुआ है. इस पर आनंद मोहन ने कहा- “मैं मायावती को नहीं जानता, मैं सिर्फ भगवान सत्यनारायण की कथा वाली कलावती को जानता हूं.” उन्होंने कहा- “गुजरात में हुए बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषियों को भी छोड़ा गया था.”
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