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BJP Demands Resignation Of Government After Court Ban On Caste Survey In Bihar – बिहार में जाति सर्वेक्षण पर अदालत की रोक के बाद BJP ने सरकार से मांगा इस्तीफा

बिहार में जाति सर्वेक्षण पर अदालत की रोक के बाद BJP ने सरकार से मांगा इस्तीफा

पटना:

पटना उच्च न्यायालय के बिहार सरकार द्वारा कराए जा रहे जाति सर्वेक्षण पर रोक लगाए जाने के बाद विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की नीतीश कुमार सरकार से इस्तीफे की मांग की है. हालांकि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जोर देकर कहा कि अदालत ने एक अंतरिम आदेश दिया है और आने वाले समय में देश के सभी राज्यों में जातियों की गिनती की जाएगी. तेजस्वी ने कहा, ‘‘हम अदालत के आदेश का अध्ययन किए बिना ज्यादा टिप्पणी नहीं कर सकते. हमारे पास जो जानकारी है उसके अनुसार यह एक अंतरिम आदेश है न कि अंतिम आदेश. आदेश के अवलोकन के बाद सरकार अपील में जाने जैसे विकल्पों पर विचार करेगी.”

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सर्वेक्षण पर अदालत के रोक लगाने के तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पूरी सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए. सरकार अदालत के समक्ष इसका बचाव करने में विफल रही है.” उल्लेखनीय है कि पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार की ओर से कराये जा रहे जाति सर्वेक्षण पर बृहस्पतिवार को यह कहते हुये रोक लगा दी कि राज्य के पास जाति आधारित सर्वेक्षण कराने की कोई शक्ति नहीं है और ऐसा करना संघ की विधायी शक्ति का अतिक्रमण होगा.

भाजपा पर सत्तारूढ़ महागठबंधन के सर्वेक्षण का विरोध करने के आरोप को झूठा करार देते हुए चौधरी ने कहा कि सर्वेक्षण का आदेश तब दिया गया था, जब हम राज्य में सत्ता में थे. उन्होंने कहा कि हमने जाति सर्वेक्षण के पक्ष में मतदान किया था जब राज्य विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित किया गया था . हालांकि तेजस्वी ने कहा, ‘‘अगर भाजपा वास्तव में सर्वेक्षण के पक्ष में होती तो केंद्र जनगणना के हिस्से के रूप में इसे करने के लिए सहमत होता या कम से कम इसी तरह का कार्य करने का आदेश पार्टी शासित राज्यों में दिया गया होता.”

महागठबंधन सरकार को बाहर से समर्थन देने वाली भाकपा माले ने उच्च न्यायालय के आदेश को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण” बताया. भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने एक बयान में कहा, ‘‘सर्वेक्षण बहुत आवश्यक है क्योंकि 1931 के बाद कोई जातिगत जनगणना नहीं की गई है और कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण और अन्य योजनाओं को अधिक प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न सामाजिक समूहों की संख्या का एक नया अनुमान आवश्यक है.”

कुणाल ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि जब उच्च न्यायालय में इस मामले पर आगे की सुनवाई होगी तो सरकार अपनी दलील बेहतर ढंग से पेश करेगी और कमियों को दूर करेगी”. हाल ही में जद यू छोड़ कर अलग संगठन बनाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने आरोप लगाया कि उच्च न्यायालय के आदेश ने नीतीश कुमार की सामाजिक न्याय के आंदोलन को आगे बढ़ाने में असमर्थता को उजागर किया है. राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मनोज झा ने उच्च न्यायालय के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुये कहा कि इस तरह का फैसला समाज में खाई को बढ़ाने वाला होता है .

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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