Mumbai Teenage Committed Suicide Not Bear Pain And Bleeding After Her First Menstruation Period – जागरूकता है जरूरी! पहले पीरिएड्स में खून निकलता देख बच्ची को आई घिन, कर ली खुदकुशी
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ये घटना मुंबई के मलाड इलाके में बीते गुरुवार की है. पुलिस के मुताबिक, पीरिएड्स में दर्द और ब्लीडिंग देखकर लड़की तनाव में थी. वहीं, 14 साल की लड़की की ओर से अपने पहले पीरिएड्स के दौरान होने वाले दर्दनाक अनुभव और आत्महत्या करने की घटना से हर कोई हैरान है.
बेटी ने कहा था उसे अपने शरीर से घिन आती है- मां
लड़की की मां ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को इससे पहले पीरिएड्स के बारे में नहीं बताया था. उन्होंने बताया, “मैंने बेटी को पहले इस बारे में कुछ नहीं बताया था. वो कभी स्कूल नहीं गई, जिस वजह से उसे इस बारे में पता नहीं था. पहली बार पीरिएड्स में खून निकलता देख वो डर गई थी. मैंने समझाया था कि ये तो आम बात हैं. लेकिन वो परेशान थी. उनसे बोला था कि उसे अपने शरीर से घिन आती है. मुझे नहीं पता था कि वो पीरिएड्स के दूसरे दिन ही इतना भयानक कदम उठा लेगी.”
काश हम उसके तनाव को समझ पाते- पिता
वहीं, लड़की के पिता कहते हैं, “हमें मालूम नहीं था कि वो इतनी परेशान है. हमें उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहिए था. काश हम उसके तनाव के बारे में समझ पाते. काश हम उससे खुलकर बात कर पाते.”
इस विषय पर बात नहीं करना चाहते लोग
मलाड में कई सालों से स्वास्थ्य को लेकर काम करने वाली ‘मलाड युवा संस्था’ की सुमिता बेलारे कहती हैं, “पीरियड या महावरी शब्द बोलने से भी महिलाएं और बच्चियां कतराती हैं. समाज में आज भी ये पिछड़ापन शर्मनाक है.” उन्होंने कहा, “हम जब इस विषय में वर्कशॉप लेते हैं, तो घरवाले अपनी बच्चियों या महिलाओं को नहीं भेजते है. वो हीन भावना से बात करते हैं. मुझे उनकी सोच पर हैरानी होती है. आर्थिक या सामाजिक रूप से पिछड़ों में ही नहीं, बल्कि हर वर्ग की महिलाओं में ये सोच है. हमें पीरिएड्स को लेकर बच्चियों, लड़कियों और महिलाओं में जागरुकता फैलाने की बहुत जरूरत है.”
पहले क्लास से ही बच्चियों को देनी चाहिए पीरिएड्स की जानकारी
स्थानीय शिक्षक प्रतीक थोराट ने कहा, “स्कूली पाठ्यक्रम में ही जीवन की इस बेहद जरूरी और बुनियादी बात को अनिवार्य करना होगा.” उन्होंने कहा, “मराठवाड़ा में इस बारे में पूछने पर एक बच्ची ने कहा था कि उसके पिता कहते हैं- तुमको भगवान ने सज़ा दी है. इसलिए वो स्कूल नहीं जाती. पीरियड्स को ये लोग सजा कहते हैं. हमें पहले क्लास से ही बच्चों को पीरियड्स और प्राइवेट पार्ट की जानकारी देनी चाहिए.”
हमारे समाज में पीरियड्स एक टैबू क्यों?
हमारे समाज में पीरियड्स को एक टैबू की तरह देखा जाता है. ये इतना बड़ा टैबू है कि आज भी इस दौरान करीब 53 % महिलाओं को धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा नहीं लेने दिया जाता है. पीरियड्स को लेकर समाज में कई तरह की धारणाओं के अलावा बंदिशें भी हैं. कई राज्यों के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं और युवतियों को पीरिएड्स के दौरान मंदिर जाने से लेकर पूजा पाठ में शामिल होने का अधिकार तक नहीं है.
ये बात सच है कि पीरियड्स में निकलने वाला खून नसों में बहने वाले खून से अलग होता है, लेकिन ये गंदा नहीं होता. शरीर के लिए गैरजरूरी होने के चलते ओवरी में जमा होने पर ये खून पीरियड्स के दौरान बाहर निकलता है. पीरिएड्स के दौरान किचन में जाने या मंदिर में जाने से कुछ अशुद्ध नहीं होता. अचार केवल गीले हाथों से छूने पर खराब होता है, जोकि किसी के साथ भी हो सकता है. इन चीजों को पीरियड्स से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.
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