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Sharad Pawar Said Voters Are Smart, Dont Decide On Election Symbol – मतदाता होशियार हैं, चुनाव चिह्न पर फैसला नहीं करते: शरद पवार

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मतदाता होशियार हैं, चुनाव चिह्न पर फैसला नहीं करते: शरद पवार

नई दिल्ली:

‘असली’ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) पर फैसला करने को लेकर चुनाव आयोग की होने वाली सुनवाई से पहले शरद पवार की अगुवाई वाले धड़े ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी में शक्ति प्रदर्शन की कोशिश की तथा पवार ने चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ की परवाह किये बिना अपनी पार्टी की जीत का भरोसा जताया. शरद पवार (82) ने राकांपा की विस्तारित कार्यसमिति की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें उनके नेतृत्व पर विश्वास व्यक्त किया गया तथा ‘कुछ उन निर्वाचित प्रतिनिधियों की हरकतों की कड़ी निंदा की गयी जो पार्टी से अलग हो गये.’

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यह बैठक ऐसे समय हुई है, जब एक दिन बाद चुनाव आयोग पार्टी के नाम और निशान पर शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के प्रतिद्वंद्वी धड़ों के दावों पर सुनवाई करने वाला है. आज की बैठक में पारित किये गये प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘पूरी पार्टी पुन: शरद पवार के नेतृत्व में अटूट विश्वास प्रकट करती है और उनके मार्गदर्शन और दिशादृष्टि में देश में भावी चुनावों की तैयारी कर रही है.”

अजित पवार ने जून में महाराष्ट्र में दो-तिहाई से अधिक राकांपा विधायकों का समर्थन मिलने का दावा किया था और वह शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में शामिल हो गये थे. बाद में उन्होंने मूल पार्टी होने की बात करते हुए राकांपा के नाम और निशान पर दावा किया था. शरद पवार ने एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने तो कई चुनाव चिह्नों पर चुनाव लड़े हैं और जीता है. उन्होंने अजित पवार के प्रतिद्वंद्वी गुट के हाथों में राकांपा के नाम और चुनाव चिह्न चले जाने की संभावना वाली स्थिति को कमतर आंकते हुए यह बात कही.

शरद पवार ने कहा, ‘‘देश का मूड बदल रहा है. आम आदमी होशियार है…. यदि चुनाव चिह्न बदल भी जाता है तो भी लोग अपना इरादा आसानी से नहीं बदलते हैं.” वरिष्ठ नेता ने कहा कि वह 1967 में ‘बैलों के जोड़े’ निशान पर अपना पहला चुनाव लड़ा था. उन्होंने कहा कि तीन साल बाद वह ‘चरखा’ निशान पर चुनाव लड़े और जीत गये. उन्होंने कहा कि उन्होंने ‘गाय और बछरा’, ‘हाथ’, और ‘घड़ी’ के चुनाव चिह्नों पर चुनाव लड़े.

शरद पवार ने कहा, ‘‘हमारा प्रस्ताव उन लोगों के लिए करारा जवाब है, जो असली राकांपा होने का दावा कर रहे हैं.” सन् 1969 में कांग्रेस में हुए विभाजन तथा कांग्रेस (आई) और कांग्रेस (ओ) के बनने से अपनी पार्टी की वर्तमान स्थिति की तुलना करते हुए शरद पवार ने कहा कि मतदाताओं ने इंदिरा गांधी का खुले दिल से समर्थन किया, जिनके संगठन को बाद में असली कांग्रेस के रूप में स्वीकार किया गया.

उन्होंने कहा , ‘‘चुनाव चिह्न महत्वपूर्ण कारक हैं, लेकिन देश में लोकतंत्र इतना विकसित हो गया है कि चुनाव चिह्न बदल जाने पर भी लोग अपना इरादा नहीं बदलते.” विस्तारित कार्यसमिति की बैठक में नेताओं ने पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल को राकांपा में विभाजन के लिए निशाने पर लिया, लेकिन वे अजित पवार को लेकर शांत रहे. अजित पवार महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री बने हैं.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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