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50 करोड़ का बजट, बॉक्स ऑफिस पर की 168 करोड़ की कमाई, शाहरुख, ऐश्वर्या और माधुरी की देवदास को 21 साल पूरे

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बॉलीवुड के जाने माने फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली ने अब तक के अपने करियर में कुछ सबसे यादगार फिल्मों का निर्देशन किया है. इसी में से एक उनकी पीरियड रोमांटिक ड्रामा देवदास है. इस फिल्म को आज रिलीज हुए 21 साल पूरे हो चुके हैं. इस खास मौके पर भंसाली प्रोडक्शंस ने आज दर्शकों और सिनेलवर्स को ‘देवदास’ की कुछ झलक दिखाई और फिल्म के जादू को फिर से जिंदा कर दिया. संजय लीला भंसाली की देवदास के आज भी लोग दीवाने हैं. इस फिल्म की बात होते ही इसकी शानदार कास्ट दर्शकों के जेहन में सबसे पहले आती है जिन्होंने अपनी मौजूदगी से आइकॉनिक किरदारों में जान फूंक दी. देवदास के रूप में शाहरुख खान ने वास्तव में बेहतरीन काम किया था, क्योंकि उन्होंने निराशा और जुनून की गहराइयों को सहजता से स्क्रीन्स पर उतारा. ऐश्वर्या राय बच्चन भी पारो की मासूमियत का प्रतीक थीं, जबकि माधुरी दीक्षित नेने ने चंद्रमुखी के किरदार में ग्रेस और दया की मिसाल बनी और चुन्नी बाबू की अटूट दोस्ती भी कमाल थी.

देवदास के 21 साल पूरे होने का जश्न मनाते हुए भंसाली प्रोडक्शंस ने कैप्शन लिखा, ‘एक ऐसी खूबसूरत यात्रा पर निकलते हुए, जहां प्यार की कोई सीमा नहीं है, पारो के लिए देव की चाहत, चुन्नी की अटूट दोस्ती और चंद्रमुखी की आत्मिक सांत्वना के साथ जुड़कर, भावनाओं की एक टेपेस्ट्री बनाती है जो आज भी गूंजती है’ देवदास ने अपने पहले फ्रेम से ही अपनी भव्यता के साथ दर्शकों का दिल जीत लिया था. इस फिल्म का हर सेट, सावधानीपूर्वक डिजाइन किया गया और भव्य रूप से निर्मित था जो लोगों 19वीं सदी के बंगाल की असाधारण दुनिया में ले गया. डिटेल्स पर भंसाली के ध्यान ने हर सीन को एक मास्टरपीस में बदल दिया, जिससे सभी हैरान रह गए.

देवदास में कॉस्ट्यूम अपने आप में एक ट्रीट थी, जो किरदारों की समृद्धि और उनकी भावनाओं को दर्शाती थी. हर पहनावा बहुत ध्यान से तैयार किया गया था, बारीक कढ़ाई, चमकदार सजावट और जीवंत रंगों से सजाया गया था. कॉस्ट्यूम ने न केवल कहानी को बढ़ाया बल्कि किरदारों की पहचान का एक अभिन्न अंग भी बन गया. देवदास के म्यूजिक ने भी लोगों के दिलों को गहराई से छुया और आज भी उनके दिल में बसा हुआ है. डोला रे डोला, सिलसिला ये चाहत का, और हमेशा तुमको चाहा जैसे गाने प्यार और चाहत के गीत बन गए. 

देवदास, संजय लीला भंसाली के दूरदर्शी निर्देशन के साथ बुने गए अनगिनत कलात्मक तत्वों की सीमा थी. लुभावनी सिनेमैटोग्राफी से लेकर शानदार कोरियोग्राफी तक, हर फ्रेम को अच्छी तरह से सोच-समझ कर तैयार किया गया था, जिसने हमारे सिनेमाई परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी. फिल्म ने एक पीरियड ड्रामा की भव्यता को एकतरफा प्यार की सच्ची भावनाओं के साथ सहजता से जोड़ा, जिससे एक ऐसा सिनेमाई अनुभव हुआ जो दुनिया भर के दर्शकों को पसंद आया. आज 21 साल बाद भी संजय लीला भंसाली की देवदास एक सिनेमाई मास्टरपीस बनी हुई है जिसे दुनिया भर के दर्शकों द्वारा प्यार और सराहना मिलती है. 



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