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Uttarakhand Uttarkashi Tunnel 41 Workers Successfully Rescued Family Celebrate The Joy – VIDEO: भारत माता के जयकारे, शंखनाद और आतिशबाजी; टनल से बाहर आए मजदूरों के परिवार में जश्न का माहौल

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मज़दूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन में राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों के साथ ही सेना, विभिन्न संगठन, रैट होल माइनर्स और विश्व के नामी टनल एक्सपर्ट शामिल थे. सिल्क्यारा टनल से बचाए गए मजदूरों में विशाल भी शामिल हैं, जो हिमाचल प्रदेश के मंडी में रहते हैं. विशाल की मां उर्मिला ने न्यूज एजेंसी ANI के हवाले से कहा, “मैं उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सरकारों से बहुत खुश हूं, मैं उन्हें तहे दिल से धन्यवाद देती हूं…”

दिवाली वाले दिन ही ये हादसा हुआ था. रोशनी के त्यौहार पर इन मजदूरों के परिवारों की जिंदगी में अंधेरा आ गया था. अब 17 दिन बाद जब मजदूर सुरक्षित बाहर निकाल लिए गए हैं, तो इनके परिवार में दिवाली मनाई जा रही है. ओडिशा के भुवनेश्वर में एक मजूदर के परिवार में बच्चों ने आतिशबाजियां की. घरों में दीये जलाए गए. पकवान बनाए गए. एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया गया. 


उत्तरकाशी के सिल्कयारा टनल में फंसे मजदूर मंजीत के घर पर जश्न का मौहाल है. मंजीत उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के रहने वाले हैं.

रांची के बाहरी इलाके में स्थित खीराबेड़ा गांव में भी जश्न का माहौल है. यहां ग्रामीणों ने ‘लड्डू’ बांटे. लकवाग्रस्त श्रवण बेदिया (55) का इकलौता बेटा राजेंद्र (22) टनल में फंसा हुआ था. लंबी निराशा के बाद चेहरे पर कुछ राहत के साथ उन्हें अपनी झोपड़ी के बाहर व्हीलचेयर पर देखा गया. राजेंद्र के अलावा गांव के दो अन्य लोग-सुखराम और अनिल ( जिनकी उम्र लगभग 20 वर्ष के आसपास है) इस टनल में फंसे थे.

उत्तरकाशी में टनल के बाहर डेरा डाले हुए अनिल के भाई सुनील ने बताया, ‘‘आखिरकार, भगवान ने हमारी सुन ली. मेरे भाई को बचाया जा सका. मैं अस्पताल ले जाते समय एम्बुलेंस में उसके साथ हूं. भाई की हालत स्थिर है.”

सुनील पिछले एक सप्ताह से अपने भाई का इंतजार कर रहे थे. वह भी इसी प्रोजेक्ट में काम करते हैं. उन्होंने कहा कि यह उनकी जिंदगी का सबसे मुश्किल वक्त था.

बता दें कि रेस्क्यू ऑपरेशन में NDRF, SDRF, BRO, RVNL, SJVNL, ONGC, ITBP, NHAIDCL, THDC, उत्तराखंड राज्य शासन, जिला प्रशासन, भारतीय थल सेना, वायुसेना समेत तमाम संगठनों, अधिकारियों और कर्मचारियों की अहम भूमिका रही.

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