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Absorb The Life Lessons Of Mahatma Gandhi: President Murmu – महात्मा गांधी की जीवन संबंधी शिक्षा को आत्मसात करें : राष्ट्रपति मुर्मू

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उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया आज गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है, चाहे वह जलवायु परिवर्तन का अस्तित्व संबंधी वास्तविक संकट हो या गिरती मूल्य प्रणालियों की अधिक अमूर्त नैतिक चुनौती हो. व्यावसायिकता के कठोर आवेगों से प्रेरित संघर्षग्रस्त दुनिया में, भारत दुनिया को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का एक वैकल्पिक दृष्टिकोण देता है.”

उन्होंने कहा, ‘‘आपमें से जो लोग दुनिया के भावी संपदा सृजनकर्ता बनने जा रहे हैं, मैं इस बात पर जोर दूंगी कि आपको महात्मा गांधी की जीवन के बारे में शिक्षा को अवश्य आत्मसात करना चाहिए जो व्यवसाय की नैतिकता से बेमेल नहीं हैं. गांधीजी के लिए नैतिकता के बिना सफलता पाप थी.”

मुर्मू ने छात्रों को पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में उत्कृष्टता का लक्ष्य रखने और आईआईएम बैंगलोर के साथ उनके जुड़ाव के साथ आने वाली महान विरासत पर खरा उतरने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि उन्हें विरासत में मिली दुनिया के बारे में शिकायत नहीं करनी चाहिए बल्कि अपने पीछे एक ऐसी दुनिया छोड़नी चाहिए जहां आने वाली पीढ़ियों के पास शिकायत करने के लिए कुछ न हो और जहां वे सद्भाव, आशावाद, समृद्धि और समानता के साथ रह सकें.

मुर्मू ने आईआईएम बैंगलोर में एन एस राघवन सेंटर फॉर आन्ट्रप्रनरीअल लर्निंग की महिला उद्यमियों और अधिकारियों के साथ भी बातचीत की. राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईएम बेंगलुरु प्रबंधन प्रतिभा और संसाधनों का पोषण और प्रोत्साहन कर रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले 50 वर्षों में, इसने न केवल प्रबंधकों को बल्कि नेताओं, नवप्रवर्तकों, उद्यमियों और परिवर्तन लाने वालों को भी तैयार किया है.

उन्होंने कहा कि इस संस्थान में शिक्षा न केवल कक्षा, कार्यस्थल और बाज़ार में, बल्कि जीवन के हर कल्पनीय क्षेत्र की समस्याओं, चुनौतियों और मुद्दों से निपटने के लिए सर्वोत्तम मस्तिष्क तैयार करती है.

उन्होंने कहा कि संस्थान की स्थापना के बाद से, व्यावसायिकता, दक्षता और योग्यता वे विशेषताएं रही हैं, जिन पर आईआईएम बैंगलोर खड़ा रहा है और अपनी योग्यता साबित की है. उन्होंने कहा कि इसने नवाचार और क्षमता निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई है और शिक्षा और अनुसंधान पर स्थायी प्रभाव छोड़ा है.

उन्होंने कहा, ‘‘…..यह संस्थान न केवल अपने सदस्यों को पेशेवर कौशल, उपकरण और संसाधनों से लैस करता है, बल्कि उन्हें आत्म-विकास और ज्ञानोदय की दिशा में मार्गदर्शन भी करता है और उन्हें अपने भीतर छिपी प्रतिभा को खोजने में मदद करता है.”

उन्होंने कहा, ‘‘हम रोमांचक समय में रह रहे हैं और यह चौथी औद्योगिक क्रांति का युग है. आईआईएम बेंगलुरु के डेटा सेंटर और एनालिटिकल लैब द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बिग डेटा और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में किए जा रहे काम का व्यापार और अर्थव्यवस्था के भविष्य पर गहरा प्रभाव पड़ेगा.

राष्ट्रपति ने आईआईएम बैंगलोर को भारत सरकार के ऑनलाइन शिक्षा मंच ‘एसडब्ल्यूएवाईएएम’ के वास्ते प्रबंधन शिक्षा के लिए समन्वय संस्थान बनने के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक अत्यधिक युवा और गतिशील जनसांख्यिकी वाला देश है. इसलिए, महात्मा गांधी राष्ट्रीय फेलोशिप कार्यक्रम के माध्यम से सार्वजनिक नीति अनुसंधान और युवाओं के कौशल विकास के क्षेत्र में आईआईएम बैंगलोर के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी द्वारा किया गया कार्य न केवल आवश्यक है, बल्कि सराहनीय भी है.”

उन्होंने यह भी याद किया कि महामारी के दौरान जब दुनिया मानव इतिहास की सबसे खराब और अभूतपूर्व त्रासदियों में से एक से जूझ रही थी, एन.एस. राघवन सेंटर फॉर आन्ट्रप्रनरीअल लर्निंग ने एक ऑनलाइन महिला उद्यमिता कार्यक्रम चलाया, जो राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा समर्थित था. उसमें हजारों महिला उद्यमियों ने भाग लिया.

मुर्मू ने कहा, ‘‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रारंभिक समर्थन के साथ एनएसआरसीईएल द्वारा तैयार महिला स्टार्ट-अप कार्यक्रम, वास्तव में सराहनीय है. मुझे यह जानकर खुशी हुई कि एनएसआरसीईएल ने अपने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अब तक लगभग 3,000 महिला उद्यमियों पर प्रभाव डाला है.”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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